भाग - 3 मूल अधिकार
अनुच्छेद : 12 - 35
मूल अधिकार को नैसर्गिक अधिकार कहते है क्योकि ये जन्म के बाद मिल जाता है | मूल अधिकार को ' मैग्नाकाटा ' कहते है | इसे USA के संविधान से लिया गया है |
भारतीय संविधान द्वारा प्रदत मूल अधिकार
Fundamental Rights Conferred by Indian Constitution
अनुच्छेद 12 - इस अनुच्छेद के तहत मौलिक अधिकार के द्वारा राज्य को परिभाषित किया गया है |
अनुच्छेद 13 - यदि हमारे मूल अधिकार को किसी दुसरे मूल अधिकार प्रभावित करे , तो हमारे मूल अधिकार पर रोक लगाया जा सकता है | (अल्पीकरण )
1. समता / समानता का अधिकार [ अनु. 14 - 18 ]
Right of Eqility
अनुच्छेद 14 - विधि के समक्ष समानता ( Equility before law ) अर्थात कानून के सामने सब समान है | यह व्यवस्था ब्रिटेन से लि गई है | जब की कानून के समान संरक्षण ( Equal protection of law ) की व्यवस्था अमेरिका से लि गई है |
अनुच्छेद 15 - जाती , धर्म , लिंग तथा जन्म स्थान के आधार पर सार्वजनिक स्थान पर भेद भाव नही किया जायेगा |
अनुच्छेद 16 - लोक निर्वाचन [ सरकारी नौकरी की समानता ] इनमे पिछड़े वर्ग के लिए कुछ समय आरक्षण की चर्चा है |
अनुच्छेद 17 - अस्पृश्यता ( Untouchability ) [ छुआ - छूत का अंत ]
अनुच्छेद 18 - उपाधियो के अंत ( Abolition of titles ) किंतु शिक्षा , सुरक्षा तथा भारत रत्न , पद्म विभूषण इत्यादि रख सकते है | विदेशी उपाधि रखने के पूर्व राष्ट्रपति से अनुमति लेनी पडती है |
2. स्वतंत्रता का अधिकार [ अनु . 19 - 22 ]
Right of Freedom
अनुच्छेद 19 -
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ,बोलने की स्वतंत्रता ,झंडा लहराने , पुतला जलाने, RTI तथा प्रेस की स्वतंत्रता |
- बिना हथियार सभा करने की स्वतंत्रता
- संगठन बनाने की स्वतंत्रता
- बिना रोक टोक चारों ओर घुमने की स्वतंत्रता
- भारत में किसी क्षेत्र में बसने की स्वतंत्रता
- सम्पति का अधिकार ,अब यह मूल अधिकार नहीं रहा | बल्कि क़ानूनी अधिकार हो गया |
* मूल संविधान में मूल अधिकारों की संख्या 7 थी किंतु सम्पति के अधिकार को 44 वें संविधान संशोधन द्वारा 1978 में मौलिक अधिकार से हटा दिया गया | अब इसे अनुच्छेद 300 (क) के तहत क़ानूनी अधिकार में रखा गया है |
7.व्यवसाय करने की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 20 - इसमें तीन प्रकार की सतंत्रता दी गई है |
- एक गलती की एक सजा
- सजा उस समय के कानून के आधार पर दी जाएगी न की पहले या बाद के कानून के आधार पर
- सजा के बाद भी कैदी को संरक्षण दिया जाता है |
Note - अनुच्छेद 20 के अनुसार जब तक किसी व्यक्ति को न्यायालय दोषी करार नहीं कर देती तब तक उसे अपराधी नहीं मन जाता |
अनुच्छेद 21 - इसमे प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता है इसी के कारण अधिक धुआ देने वाले वाहन या बिना हेलमेट वाले व्यक्ति को पुलिस चलान कटती है | अनुछेद 21 में ही निजता का अधिकार पर जोड़ दिया गया है | अब हमारी गोपनीय जानकारी को कोई उजागर नहीं कर सकता |
Note - अनुच्छेद 20 तथा 21 को आपातकाल के दौरान नहीं रोका जा सकता है | अतः इसे सबसे शक्तिशाली मूल अधिकार कहते है |
अनुच्छेद 21 (क) -इसे 6 से 14 वर्ष के बच्चों को निः शुल्क प्राथमिक शिक्षा का अधिकार है | इसे 86 वां संशोधन द्वारा 2002 में जोड़ा गया |
अनुच्छेद 22 - इसमें तीन प्रकार की स्वतंत्रता दी गई है जो गिरफ़्तारी से संरक्षण करती है |
- व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पहले वारंट बताना होता है |
- 24 घंटे के अंदर उसे न्यायालय में सह शरीर प्रस्तुत किया जाता है | इस 24 घंटे में यातायात तथा अवकाश का समय नही गिना जाता है |
- गिरफ्तार व्यक्ति को अपने पसंद का वकील रखने का अधिकार है |
भाग-2 देखें - Click Here
निवारक निरोध अधिनियम
Preventive Detention Act
⏵ इसकी चर्चा अनुच्छेद 22 के IV में है। इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति को सजा देना नहीं बल्कि अपराध करने से रोकना है। इस कानून के तहत पुलिस शक के आधार पर किसी भी व्यक्ति को बिना कारण बताये अधिकतम तीन महीने तक गिरफ्तार या नजरबंद कर सकती है।
⏵नजरबंद - किसी व्यक्ति को जब समाज से मिलने नहीं दिया जाता है। तो उसे नजरबंद कहते हैं। नजरबंद होटल, आवास या बेल कहीं भी हो सकता है।
⏵भारत में प्रमुख निवारक निरोध अधिनियम (Major Preventive Detention Acts in India)
(i) निवारक निरोध अधिनियम 1950 - यह भारत का पहला निवारक निरोध अधिनियम है। 31 Dec 1972 में इसे समाप्त कर दिया गया।
(ii) आंतरिक सुरक्षा अधिनियम (MISA - Maintenance of Internal Security Act)- इसे 1971 में लाया गया किन्तु इसका सर्वाधिक दुरूपयोग हुआ जिस कारण 1978 में इसे समाप्त कर दिया गया।
(iii) राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) (National Secu- rity Act)- इसे 1980 में लाया गया। यह अभी तक लागू है। यह वर्तमान में सबसे खतरनाक अधिनियम है। इसके तहत पुलिस इनकाउंटर कर देती है।
(iv) आतंकवादी एवं विध्वंसक गतिविधियाँ TADA (Terrorist and Disruptive Activities)- इसे 1985 में आतंकवादी के विरूद्ध लाया गया था। दुरूपयोग होने के कारण 23 may 1995 में इसे समाप्त कर दिया गया।
(v) आतंकवादी निवारक अधिनियम- POTA (Preven- tion of Terrorism Act)- यह भी आतंकवादी पर लगाया जाता है। इसे 2001 में प्रारंभ तथा 2004 में समाप्त कर दिया गया।
(vi) गैरकानूनी गतिविधियाँ अधिनियम- UAPA (Un-lawful Activities Prevention Act)- इस कानून का मुख्य उद्देश्य आतंको गतिविधियों पर रोक लगाना है। पुलीस और जांच एजेंसियाँ इस कानून के तहत ऐसे आकियों, अपराधियों और संदिग्धों को चिन्हित करती है जो आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं।
3. शोषण के विरूद्ध अधिकार
Right Against Exploitation (Article-23-24)
अनुच्छेद 23 - बलात श्रम (जबरदस्ती श्रम) तथा बेगारी (बिना वेतन) (Forced labour) पर रोक लगाया गया। किन्तु राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर बलात श्रम या बेगारी (Forced labour) कराया जा सकता है।
अनुच्छेद 24 - 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को खतरनाक काम (Dangerous Work) में नहीं लगाया जा सकता।
4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार | अनु० 25-28]
Right to freedom of Religion (Article-25-28)
• अनुच्छेद 25 - अंत: करण (Conscious) की चर्चा अर्थात् व्यक्तिगत धार्मिक स्वतंत्रता कि चर्चा है। इसके तहत सिखों को कृपाण (तलवार) मुस्लिमों को दाढ़ी, हिन्दुओं को टिकी रखने की स्वतंत्रता है।
• अनुच्छेद 26 - इसमें सामुहिक धार्मिक स्वतंत्रता की चर्चा है। इसी के तहत यज्ञ, हवन करने, सड़क पर नमाज पढ़ने, धार्मिक संस्थान की स्थापना करना, धार्मिक क्रियाकलाप में भाग लेने का अधिकार है।
• अनुच्छेद 27 - धार्मिक कार्य के लिए दिया गया धन पर टैक्स नहीं लगता |
• अनुच्छेद 28- सरकारी धन से चल रहे संस्थान में धार्मिक शिक्षा (Religious Education) नहीं दी जाएगी।
Remark :- संस्कृत एक भाषा है न कि हिन्दु धर्म कि धार्मिक शिक्षा इसी प्रकार उर्दू तथा अरबी एक भाषा है न कि इस्लाम धर्म कि शिक्षा। अतः सरकारी मदरसा अनुच्छेद- 28 का उल्लंघन नहीं है।
5. संस्कृति एवं शिक्षा संबंधी अधिकार (अनु० 29-30) अल्पसंख्यक
Cultural and Educational Rights (Article-29-30)
अनुच्छेद 29 ( अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण)-इसमें अल्पसंख्यकों की रक्षा है और कहा गया है कि किसी भी अल्पसंख्यक को इसकी भाषा या संस्कृति के आधार पर किसी संस्था में प्रवेश से नहीं रोक सकते।
अनुच्छेद 30 (अल्पसंख्यकों का शिक्षा संरक्षण) - अल्पसंख्यक यदि बहुसंख्यकों के बीच में शिक्षा लेने से संकोच कर रहा है तो अल्पसंख्यक अपने पसंद कि संस्था खोल सकते हैं। सरकार उसे भी धन देगी।
अनुच्छेद 31 - इसमें पैतृक सम्पत्ति कि चर्चा की गई है। जो मूल अधिकार था किन्तु 44वाँ संविधान संशोधन 1978 द्वारा इसे कानूनी अधिकार बना दिया गया और अनुच्छेद 300 (क) में जोड़ दिया गया।
Remark:-
(1) अनुच्छेद 19(VI) में अर्जित सम्पत्ति की चर्चा है। जबकि 31 में पैतृक सम्पत्ति कि चर्चा है।
(ii) मूल अधिकार को हमसे सरकार या जनता कोई नहीं छीन सकता जबकि कानूनी अधिकार को जनता नहीं छीन सकती किन्तु सरकार छीन सकती है। इसके लिए सरकार ने भूमि अधिग्रहण विधेयक लाया।
6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार [अनु० 32]
Right to constitutional remedies (Article-32)
अनुच्छेद 32 - संवैधानिक उपचार का अधिकार अनुच्छेद 32 को मूल अधिकार को मूल अधिकार बनाने वाला मूल अधिकार कहा जाता है क्योंकि इसके द्वारा व्यक्ति मौलिक अधिकार हनन के मामले पर सीधे सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट पाँच प्रकार के रिट याचिका या समादेश जारी करती है।
⏵बन्दी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)- यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सबसे बड़ा रिट है। यह बन्दी बनाने वाली अधिकारी को आदेश देती है कि उसे 24 घंटे के भीतर सह शरीर न्यायालय में प्रस्तुत करें।
⏵परमादेश (Mandameous)- इसका अर्थ होता है- 'हम आदेश देते हैं। जब कोई सरकारी अधिकारी अच्चों से काम नहीं करता है। तो उसपर यह जारी किया जाता है।
⏵अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)- जब कोई व्यक्ति ऐसे कार्य को करने लगे जिसके लिए वह अधिकृत नहीं है तो उसे रोकने के लिए अधिकार पृच्छा आता है। संवैधानिक उपचारों में अधिकार पृच्छा को पोस्टमार्टम भी कहा जाता है।
⏵प्रतिषेध (Prohibition)- यह उपरी न्यायालय अपने से निचली न्यायालय पर तब लाती है। जब निचली न्यायालय अपने अधिकारों का उलंघन करके फैसला सुना चुकी रहती है।
⏵उत्प्रेषण (Certiorari) यह भी उपरी न्यायालय अपने से निचली न्यायालय पर तब लाती है। जब निचली न्यायालय अपने अधिकार का उलंघन करके फैसला सुना चुकी रही है।
Note:-
1. अम्बेदकर ने अनु 32 को 'संविधान की आत्मा' कहा था।
2. किस भाग को संविधान की आत्मा कहते हैं। प्रस्तावना
3. ये पाँच प्रकार के रिट को अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट भी जारी कर सकता है।
अनुच्छेद 33 - राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में संसद, सेना, मीडिया तथा गुप्तचर के मूल अधिकार को सीमित कर सकती है।
अनुच्छेद 34 - भारत के किसी भी क्षेत्र में सेना का कानून (Marshal law) लागू किया जा सकता है। सेना के न्यायालय को Court Marshal कहते है। सबसे कठोर Marshal law- AFSPA है। [Axnel Forces Special Power Act)
अनुच्छेद 35 - भाग 3 में दिए गए मूल अधिकार के लागू होने के विधि की चर्चा।
⏵मूल अधिकार को 7 श्रेणियों में बाँटा गया था। किन्तु वर्त्तमान में 6 श्रेणीयाँ है-
श्रेणी (Series) | अनुच्छेद (Articles) |
1. समानता का अधिकार Right to equality | 14 – 18 |
2. स्वतंत्रता का अधिकार Right to freedom. | 19 – 22 |
3.शोषण के विरूद्ध अधिकार Right against exploitation
| 23 – 24 |
4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार Right to freedom of religion.
| 25 – 28 |
5. शिक्षा एवं संस्कृति का अधिकार Cultural and educational rights | 29 – 30 |
6. सम्पत्ति का अधिकार Property Rights | 31* |
7.संवैधानिक उपचार का अधिकार - Right to constitutional
| 32 |
Note:- अनुच्छेद 14, [20, 21, 21A], [23, 24], [25-28]- भारतीय तथा विदेशियों दोनों के लिए।
- अनुच्छेद 15, 16, 19.29 एवं 30 केवल भारतीयों को मिलता है।
- हड़ताल करना तथा चक्का जाम करना मूल अधिकार नहीं है क्योंकि इससे अन्य व्यक्तियों के मूल अधिकार का हनन हो जाता है।
- स्थायी आवास तथा अनिवार्य रोजगार मूल अधिकार नहीं है।
- वोट डालने का अधिकार राजनीतिक अधिकार है मूल अधिकार नहीं।
- मूल अधिकार को कुछ समय के लिए राष्ट्रपति निबित करते हैं।
- मूल अधिकार को स्थायी रूप से प्रतिबंधित संसद करती है।
- मूल अधिकार का रक्षक SC/32 तथा HC/226 को कहते हैं।
स्मरणीय तथ्य
- मूल अधिकार संविधान के भाग 3 में वर्णित हैं।
- मूल अधिकार संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से लिये गए हैं।
- भारतीय नागरिकों के मूल अधिकारों का वर्णन संविधान के अनुच्छेद 12 से 35 तक किया गया है।
- वर्तमान में भारतीय संविधान में कुल 6 मूल अधिकार प्रदान किये गए हैं।
- मूल अधिकारों को लागू करने का दायित्व न्यायालय का है (सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय दोनों का)।
- मूल अधिकारों को राष्ट्रीय आपातकाल के समय राष्ट्रपति द्वारा निलंबित किया जा सकता है जबकि इन पर आवश्यक प्रतिबंध लगाने का अधिकार संसद को है।
- प्रेस की आजादी अनुच्छेद 19(1) (क) विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत निहित है।
- अनुच्छेद 21 कार्यपालिका और विधायिका दोनों के विरुद्ध संरक्षण प्रदान करता है।
- संवैधानिक उपचारों में अधिकार पृच्छा को 'पोस्टमॉर्टम' की भी संज्ञा दी जाती है।
- सशस्त्र विद्रोह को 44वें संविधान संशोधन द्वारा संविधान में जोड़ा गया।
- 44वें संविधान संशोधन, 1978 द्वारा संपत्ति के अधिकार को वैधानिक अधिकार बना दिया गया तथा अब यह संविधान के अनुच्छेद 300 A में है। यह प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई के काल में हुआ था।
- राष्ट्रीय आपातकाल में अनुच्छेद 20 और 21 को छोड़कर बाकी सभी मूल अधिकार निलॉबत हो जाते हैं।
- 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा अनुच्छेद 21 क के अंतर्गत शिक्षा के अधिकार को मूल अधिकार का दर्जा प्रदान किया गया है।
- अनुच्छेद 21क के अनुसार राज्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बालकों के लिये निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का उपबंध करेगा।
- सर्वोच्च न्यायालय ने निजता के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मूलभूत अधिकार की श्रेणी में रखा है। पंथनिरपेक्षता का अर्थ है कि राज्य का अपना कोई धर्म नहीं होता तथा राज्य सभी धर्मों को समान सम्मान देगा।
- सिर्फ भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों का वर्णन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15, 16, 19, 29, 30 में है। शेष अधिकार भारतीय नागरिकों के साथ-साथ भारत में निवास करने वाले व्यक्तियों के लिये भी हैं।
- परमादेश रिट के द्वारा किसी सक्षम न्यायालय द्वारा किसी प्राधिकार, निगम को कोई ऐसा कार्य करने के लिये आदेश दिया जाता है जो उसकी कर्तव्य सीमा में आता है और जिसको उन्हें पूरा करना चाहिये।
- अधिनियम, 1955 की धारा (12) के तहत न्यायालय उपधारित कर सकता है कि अपराध गठित करने वाला कोई कृत्य 'अस्पृश्यता' के आधार पर किया गया था, यदि ऐसा अपराध अनुसूचित जाति के सदस्य के संबंध में किया गया है।