आज हम झारखंड के खनिज संसाधन के बारे मे विस्तार से जनेंगे | इस राज्य मे विभिन्न प्रकार के खनिज संसाधन उपस्थित है जिसकी मात्रा अन्य सभी राज्यों से कई गुना अधिक है फिर भी झारखंड राज्य की विकास दर बहुत ही कम है | हम झारखंड मे पाए जाने वाले खनिजों के बारे मे आईये जानते है -
कोयला
- भारत में सर्वाधिक कोयला भंडार झारखण्ड में पाये जाते हैं |
- कोयला के भंडारण में झारखण्ड का भारत में पहला स्थान है।
- कोयला के उत्पादन की दृष्टि से झारखण्ड का भारत में पहला स्थान है भारत के कुल कोयला उत्पादन का 𝟛𝟛 प्रतिशत भाग झारखण्ड में उत्पादित होता है।
- झारखण्ड राज्य का सर्वाधिक कोयला उत्पादक क्षेत्र दामोदर घाटी कोयला क्षेत्र है।
- झारखण्ड में प्रथम बार कोयला खनन का प्रारंभ झरिया में हुआ था ।
- उत्पादन की दृष्टि से झारखण्ड में सबसे बड़ा कोयला खान झरिया कोयला खान है।
- क्षेत्रफल की दृष्टि से झारखण्ड में सबसे बड़ा कोयला खान कर्णपुरा कोयला खान है।
- भारत के 𝟡𝟝 प्रतिशत से अधिक कोक बनाने योग्य कोयले की खान झारखण्ड राज्य में अवस्थित है। झारखण्ड पूरे देश में प्राइम कोकिंग कोल का एकमात्र उत्पादक राज्य है।
- झारखण्ड में कोयले की प्राप्ति गोण्डवाना क्रम के चट्टानों से होती है।
- झारखण्ड में बिटुमिनस किस्म के कोयले पाये जाते हैं।
- 'सिकनी कोयला परियोजना' झारखण्ड के लातेहार जिले में स्थित है।
- झारखण्ड में कुल 𝟟 कोल वाशरी हैं।
- दामोदर घाटी क्षेत्र में कोयला के प्रमुख खाद्यानें पिपरवार, सराधु तथा मगध, अशोक, संघमित्रा, अम्रपाली तथा चंद्रगुप्त की अवस्थिति बड़कागांव (हजारीबाग) क्षत्र में है। ये सभी क्षेत्र उत्तरी कर्णपुरा कोलफिल्ड एरिया के अंतर्गत आते हैं।
लौह अयस्क
- झारखण्ड में लौह-अयस्क धारवाड़ क्रम की चट्टानों में पायी जाती हैं।
- झारखण्ड में सर्वाधिक हेमेटाइट कोटि का लौह-अयस्क पाया जाता है।
- झारखण्ड का सर्वाधिक लौह-अयस्क वाला जिला पश्चिमी सिंहभूम है।
- बड़ा जाम्दा समूह लौह-अयस्क क्षेत्र है।
- झारखण्ड की नोवामुण्डी खान एशिया की सबसे बड़ी लोहे की खान है।
- लौह अयस्क के उत्पादन की दृष्टि से झारखण्ड का भारत में दूसरा स्थान है।
- कोल्हान श्रेणी में हेमेटाइट अयस्क की प्रधानता है ।
- देश के कुल लौह अयस्क भंडार का लगभग 26% झारखण्ड राज्य में निक्षेपित है।
- पश्चिमी सिंहभूम का चिरिया नामक स्थान भी लौह अयस्क के भंडार की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। लौह अयस्क भंडार की दृष्टि से यह भारत का सबसे बड़ा निक्षेप है।
- यहां से हेमेटाइट वर्ग का लौह अयस्क उत्पादित किया जाता है जिसमें 60%-68% तक लोहे का अंश होता है।
- राज्य में मैग्नेटाइट लौह अयस्क के भंडार पूर्वी सिंहभूम, पलामू, गुमला, हजारीबाग तथा लातेहार जिले में है।
बॉक्साइट
- बॉक्साइट वस्तुतः एल्युमिनियम युक्त चट्टान है इसका मुख्य स्रोत लावा से निर्मित चट्टानें है। झारखण्ड में गुमला, लातेहार, गोड्डा, लोहरदगा एवं साहेबगंज में बॉक्साइट सर्वाधिक मात्रा में पाया जाता है।
- बॉक्साइट उत्पादन की दृष्टि से झारखण्ड का भारत में सातवां स्थान है।
- झारखण्ड में बॉक्साइट गलाने का सबसे बड़ा संयंत्र मुरी में स्थापित है । 1948 (1934)
- झारखण्ड में उच्च कोटि का बॉक्साइट पाया जाता है जिसमें 52% 55% तक एल्युमिनियम होता है।
अभ्रक
- झारखण्ड की अभ्रक पट्टी 150 कि.मी. लम्बे तथा 19-25 किमी. चौड़े क्षेत्र में मिलती है, जो 4,160 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैली हुई है।
- झारखण्ड के दो जिलों कोडरमा एवं गिरिडीह में अभ्रक सर्वाधिक पाया जाता है।
- झारखण्ड में उच्च कोटि का मस्कोवाइट अधक पाया जाता है जिसकी मांग पूरे विश्व में है।
- रूबी श्रेणी के अभ्रक का उत्पादन झारखण्ड के गिरिडीह एवं कोडरमा जिलों में होता है।
- कोडमा जिला का झूमरी तिलैया अभ्रक का प्रमुख क्षेत्र है। इसके अतिरिक्त राज्य के गिरिडीह व हजारीबाग में भी इसका उत्पादन होता है।
- कोडरमा को भारत की अभ्रक राजधानी कहा जाता है। यहां से प्राप्त होने वाली सफेद अभ्रक को 'रूबी' भी कहा जाता है।
- अक्षक का उपयोग बिजली के उपकरण, औषधि, सजावट, उपकरण, अग्निरोधक सामग्री आदि के निर्माण में किया जाता है।
ताँबा
- ताँबा के उत्पादन तथा भंडारण के दृष्टिकोण से भारत का तीसरा अग्रणी राज्य झारखण्ड है।
- झारखण्ड में ताँबा उत्पादन कुड़प्पा क्रम शैल समूह से होता है।
- झारखण्ड में ताँबा उत्पादन का मुख्य जिला पूर्वी सिंहभूम है।
- प्रमुख उत्पादक क्षेत्र छापरी-सिद्धेश्वर, केंदाडीह (पूर्वी सिंहभूम) है। देश के कुल तांबा भंडार का 18.5% झारखण्ड राज्य में निक्षेपित है।
मैंगनीज
- मैंगनीज का उत्पादन मुख्य रूप से झारखण्ड के पश्चिमी सिंहभूम में होता है ।
- झारखण्ड में मैंगनीज धारवाड़ क्रम के चट्टानों से प्राप्त होता है ।
- झारखण्ड में मैंगनीज का मुख्य अयस्क साइलो मैलिन ब्रोमाइट है।
- मैंगनीज का प्रयोग इस्पात बनाने, सूखी बैटरी व रसायन उद्योग में होता है।