भाग-5 संघ (Union) || संघ (Union) kya hota hai ?

 भाग-5 संघ (Union)

राष्ट्रपति  (President)

अनुच्छेद 52 राष्ट्रपति का पद - राष्ट्रपति देश का औपचारिक (नाम मात्र के लिए) प्रमुख होता है। औपचारिक प्रमुख के रूप में राष्ट्रपति का पद ब्रिटेन से लिया गया है।

 अनुच्छेद 53 - कार्यपालिका का औपचारिक प्रधान राष्ट्रपति होता है। अर्थात् सभी कार्य राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद किए जायेंगे। कार्यपालिका का वास्तविक प्रधान PM होता है।

अनुच्छेद 54 - राष्ट्रपति का निर्वाचन (Election of the President) - इसका निर्वाचन एकल संक्रमणिय अनुपातिक पद्धति द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से गुप्त मतदान द्वारा होता है।

 एकल संक्रमणीय (Single transitive Method) - इस पद्धति द्वारा चुनाव में खड़े सभी उम्मीदवारों को वारीयता क्रम में वोट देना होता है।

अनुपातिक पद्धति (Proportion Method) - इसके तहत एक राज्य का सभी विधायको के मतो का योग को बराबर करना एवं सभी संसदों का मत मूल्य को बराबर करना होता है।

 प्रथम चरण की मतगणना (First Phase counting)- इसमें उम्मीदवार की पहली वारियता सूची गिनी जाती है। 

द्वितीय चरण (Second Phase counting)- इसमें द्वितीय वरियता सूची गिनी जाती है। यह प्रथम चरण में मत चराबर होने के बाद होता है।

❖  वी. वी. गिरी के निर्वाचन के समय द्वितीय चरण की मतगणना हुई थी।

अप्रत्यक्ष मतदान (Indirect Election) - राष्ट्रपति के निर्वाचन में जनता भाग नहीं लेती बल्की जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि भाग लेते हैं।

राष्ट्रपति का निर्वाचक मण्डल (President Electoral college)- राष्ट्रपति का निर्वाचक मण्डल में लोक सभा, राज्यसभा का सदस्य तथा सभी राज्य (28 + 3) (दिल्ली। पुडुचेरी जम्मू कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं।

❖ विधान परिषद् राज्य सभा के 12 मनोनित सदस्य राष्ट्रपति के निर्वाचन में भाग नहीं लेते हैं।

❖ मुख्यमंत्री जब विधान परिषद् का सदस्य होगा तो वह राष्ट्रपति के निर्वाचन में भाग नहीं लेगा।

❖ 69वाँ संशोधन 1990 द्वारा Delhi तथा पाण्डीचेरी में विधान सभा का गठन किया गया।

❖ 70वाँ संशोधन 1990 द्वारा राष्ट्रपति के निर्वाचक मण्डल में दिल्ली तथा पाण्डीचेरी को राष्ट्रपति के निर्वाचक मण्डल में शामिल किया गया।


❖ दो या दो से अधिक राज्यों की विधान सभा भंग भी रहेगी तो राष्ट्रपति का निर्वाचन करा लिया जाएगा क्योंकि राष्ट्रपति का निर्वाचन हर हाल में 6 महीने के अंदर करा लिया जाता है। 

1 MLA (विधायक) के बोट का Value : -

1 MLA= 

 

राज्य का जनसंख्या 

राज्य का कुल MLA × 1000 


1 MP (सांसद) के वोट का Value : -

1 MP (सांसद) =    

कुल MLA का  वोट 

कुल निर्वाचित सांसद की संख्या (543 + 233) 


Note:-

1. भारत में 28 राज्य के वोट को मिलाने पर M.L.A का कुल वोट 5,49,495 वोट आता है।

2. कुल M.P. के वोट को मिलाकर 5,49,498 के लगभग आता है।


❖ इस प्रकार राष्ट्रपति के चुनाव में कुल 11 लाख वोट लगभग पड़ते हैं।


राष्ट्रपति की जमानत राशि 
(Presidential Bail amount)


❖ चुनाव लड़ने से पूर्व राष्ट्रपति को 15,000 रुपया जमानत के रूप में RBI के पास रखनी होती है।

❖ यदि राष्ट्रपति के 1/6 भाग से कम वोट मिलेगा तो राष्ट्रपति की जमानत राशि वापस नहीं की जाएगी।

❖ इसे जमानत जप्त होना कहते हैं। यह अपमान कि स्थिति है।

अनुच्छेद 55 - इसमें राष्ट्रपति का कोटा है। 

❖ जमानत जब्त होने के चाद भी प्रत्याशी जीत सकता है किन्तु कोटा से कम वोट पाने पर जीते हुए प्रत्याशी को भी हटा दिया जाता है और पुनः चुनाव कराया जाता है।

अनुच्छेद 56 - इसमें राष्ट्रपति के कार्यकाल के बारे में बताया गया है। राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। यदि राष्ट्रपति का पद 5 वर्ष से पहले ही खाली हो जाती है तो नया राष्ट्रपति 5 वर्ष के लिए आता है न कि बचे हुए कार्यकाल के लिए।


Note:- अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव 4 वर्षों होता है। यहाँ का संविधान सबसे छोटा है।


अनुच्छेद 57 - एक ही राष्ट्रपति दुबारा निर्वाचित हो सकते हैं। अब तक डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ही दोबारा निर्वाचित हुए हैं।

अनुच्छेद 58 - योग्यता (अहंताएँ)-

 ( 1) वह भारत का नागरिक हो।

(2) 35 वर्ष की आयु होनी चाहिए।

(3) लोकसभा के सदस्य बनने की योग्यता हो।

 (4) 50 प्रस्तावक तथा 50 अनुमोदक हो।


अनुच्छेद 59 - दशाएँ/शर्तें-

(1) पागल या दिवालिया न हो।

(2) किसी भी लाभ के पद पर न हो।

(3) संसद या विधानमंडल में किसी का भी सदस्य न हो।


❖ यदि कोई सदस्य राष्ट्रपति निर्वाचित हो गया तो उसे शपथ लेने  से पूर्व अपने सदन की सदस्यता त्यागनी पड़ती है।

Note :- सरकारी नौकरी लाभ का पद कहलाता है सांसद, विधायक, मंत्री, राज्यपाल लाभ का पद नहीं है ये जनता के सेवक हैं।

अनुच्छेद 60 - राष्ट्रपति को शपथ दिलाने का कार्य सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के मुख्य न्यायाधीश करते हैं। इनके अनुपस्थिति में Supreme Court के शेष 33 न्यायाधिशों में वरिष्ठ न्यायाधीश शपथ दिलाएँगे।

अनुच्छेद 61 - महाभियोग (Impeachment) - राष्ट्रपति को उसके पद से हटाना महाभियोग कहलाता है। महाभियोग शब्द केवल राष्ट्रपति के लिए प्रयोग होगा। हालाकि महाभियोग जैसी प्रक्रिया बहुत से अधिकारियों पर लगाया जाता है किन्तु उसे सांसद की कार्यवाही या महाभियोग जैसी प्रक्रिया शब्द का प्रयोग करते है।

❖ महाभियोग की प्रक्रिया USA के संविधान से लिया गया है।

❖ महाभियोग में विधान मंडल का कोई भी सदस्य भाग नहीं लेता है।

❖ महाभियोग में सांसद के दोनों सदन के निर्वाचित तथा मनोनित सदस्य भाग लेते हैं।

राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाने का तीन कारण हैं-

  1.  यदि वह संविधान का अतिक्रमण करें।
  2.  मंत्रीमंडल के सलाह को न मानें।
  3.  किसी विदेशी राष्ट्र के प्रभाव में आ जाए।

 ❖ राष्ट्रपति पर महाभियोग किसी भी सदन से प्रारंभ हो सकता है जो सदन महाभियोग प्रारंभ करना चाहता है उसे अनुमति लेने के लिए 1/4 मत की आवश्यकता होती है। 1/4 मत मिलने के बाद वह सदन महाभियोग को 2/3 बहुमत से पारित करेगा। पारित करने के बाद दूसरे सदन में भेजने की 14 दिन पूर्व इसकी सूचना राष्ट्रपति को दे दिया जाता है। राष्ट्रपति दूसरे सदन में जाकर अपनी बात रखने में सफल रहे तो महाभियोग रद्द  हो जाएगा किंतु यदि दूसरा सदन भी 2/3 बहुमत से महाभियोग को पारित कर दे, तो राष्ट्रपति पर महाभियोग लग जाए‌गा और राष्ट्रपति को पद से हटा दिया जाएगा और 6 महिने के भीतर राष्ट्रपति का चुनाव होगा।

❖ अब तक किसी राष्ट्रपति पर महाभियोग नहीं लगा है।

अनुच्छेद 62 - राष्ट्रपति के पद का रिक्त होना।

राष्ट्रपति का पद पाँच परिस्थितियों में रिक्त होता है-

  1.  कार्यकाल को समाप्ति,
  2.  महाभियोग,
  3.  त्यागपत्र,
  4.  मृत्यु एवं
  5.  निव चिन अवैध


 ❖ कार्यकाल समाप्त होने की स्थिति में वही राष्ट्रपति तब तक अपने पद पर रहता है जब तक कि उसके उत्तराधिकारी का निर्वाचन न हो जाए। शेष 4 परिस्थिति में कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में उप-राष्ट्रपति को लाया जाता है।

❖ अब तक दो राष्ट्रपति की मृत्यु उनके अपने कार्यकाल के दौरान हुई है जबकि तीन कार्यवाहक राष्ट्रपति बने हैं।

  1.  वी.वी. गिरी - 3 मई 1969 से 20 जुलाई 1969 तक- जाकिर हुसैन के बाद आये।
  2.  मोहम्मद हिदायतुल्ला - 20 जुलाई 1969 से 24 अगस्त 1969 तक वी.वी. गिरी के त्याग-पत्र के कारण आये। मो० हिदायतुल्ला उस समय सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे।
  3. बी.डी. जत्था - 11 फरवरी 1977 से 25 जुलाई 1977 तक- फखरूद्दीन अली अहमद के मृत्यु के कारण आये।


 Remark :- यदि राष्ट्रपति का निर्वाचन अवैध घोषित हो। तो राष्ट्रपति द्वारा किया गया कार्य अवैध नहीं होगा क्योंकि राष्ट्रपति कोई भी कार्य स्वयं नहीं करते है बल्कि मंत्रीमंडल के सिफारिश पर करते हैं।


राष्ट्रपति की विभिन्न शक्तियाँ (Powers of the President)-

1. कार्यकारी शक्तियाँ (Excutive Powers)

2. विधायी शक्तियाँ (Legislative Powers)

3. वित्तीय शक्तियाँ (Financial Powers)

4. न्यायिक शक्तियाँ (Judicial Powers)

5. सैन्य शक्तियाँ (Military Powers)

6. राजनैतिक शक्तियाँ (Diplomatic Powers)

7. आपातकालीन शक्तियाँ (Emergency Powers)

8. विशेष शक्ति (Discretionary Powers)


1. कार्यकारी शक्तियाँ (Excutive Powers) - इसके तहत राष्ट्रपति कार्य संचालन हेतु विभिन्न पदाधिकारियों की नियुक्ति करते है।

जैसे- प्रधानमंत्री, UPSC, वित्त आयोग, महान्यायवादी, नियंत्रक महालेखा परीक्षक आदि।

भारत में सभी कार्य राष्ट्रपति के नाम एवं हस्ताक्षर से ही किये जाते हैं।

2. विधायी शक्तियाँ (Legislative Powers) - इसके तहत राष्ट्रपति नियम कानून बनान से संबंधित शक्तियों का प्रयोग करते हैं। ये संसद के सत्रावसान तथा सत्राआहूत करते हैं। ये 7 संयुक्त अधिवेशन को बुलाते हैं जब तक राष्ट्रपति हस्ताक्षर न कर दें तबतक विधेयक कानून नहीं बन सकता है।

अनुच्छेद 331 - लोकसभा में दो Anglo Indian का मनोनयन राष्ट्रपति द्वारा होता है। (निरस्त)

अनुच्छेद 332 - राज्य विधान सभा में SC/ST को आरक्षण राज्यपाल द्वारा दिया जाता है।

3. वित्तीय शक्ति (Financial Powers)- इसके तहत राष्ट्रपति आपात स्थितियों में 500 करोड़ रुपया तक की राशि आकस्मिक निधि से दे सकते हैं।

❖ संरक्षित निधि से धन निकालने से पहले राष्ट्रपति से अनुमति लेना होता है।

❖ केन्द्र तथा राज्य के बीच में Tax का बंटवारा के लिए वित्त आयोग का गठन राष्ट्रपति करते हैं।

4 . न्यायिक शक्ति (Judicial Powers)- अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति की क्षमादान शक्तियां है। राष्ट्रपति क्षमा करने से पूर्व गृह मंत्रालय की सलाह लेते हैं।

❖ राष्ट्रपति 5 प्रकार से किसी सजा को माफ कर सकता है। 

  • (i) क्षमा (Pardon)- जब राष्ट्रपति किसी भी सजा को पूरी तरह माफ करता है तो उसे क्षमा कहते हैं।
  • (ii) लघुकरण (Commute)- इसमें राष्ट्रपति सजा के प्रकृति को बदल देते हैं। किंन्तु समय नहीं घटाते हैं।
  • Ex. :- फांसी की सजा को आजीवन कारावास, दस साल कठोर कारावास को इस साल साधारण कारावास।
  •  (iii) परिहार (Remission) इसमें राष्ट्रपति समय घटाते हैं। किन्तु प्रकृति नहीं बदलते है। 
  • Ex.: 10 साल कठार कारावास को 5 साल का कठोर कासवास, इसका प्रयोग फाँसी की सजा पर नहीं हो सकता है।
  •  (iv) विराम (Respite) किसी बंदी (कैदी) का यदि स्वास्थ्य अच्छा नहीं है तो उसके सजा को कुछ समय के लिए राष्ट्रपति रोक लगा देते हैं, जिसे विराम कहते है।
  •  (v) प्रतिलंबन (Reprieve) राष्ट्रपति जब फाँसी की सजा को कुछ समय के लिए रोक लगा देते हैं तो उसे प्रतिलंबन कहते हैं। यह इसलिए लगाया जाता है कि कैदी दया याचिका (मर्सी) अपील कर सके।

 Note :- राष्ट्रपति Civil Court तथा सेना का कोर्ट (मार्शल कोर्ट) दोनों कि सजा माफ कर सकते हैं।

❖ राज्यपाल भी सजा माफ कर सकता है किन्तु फाँसी एवं सेना कि सजा को माफ नहीं कर सकता। 

❖ अमेरिकी राष्ट्रपति भी सेना कि सजा को माफ नहीं कर सकता है।

5. शैन्य शक्ति (Military Powers) - यह तीनों सेना का प्रधान होता है। अतः यह किसी देश से युद्ध विराम कि घोषणा करता है।

6. राजनैतिक शक्ति (Diploamtic Powers)- यह भारत के राजदूत को विदेश में भेजता है। तथा विदेशी राजदुत को भारत में आने की अनुमती देता है।

❖  विदेश जाने वाले मंत्री राष्ट्रपति से अनुमती लेकर जाते हैं।

7. अपातकालीन शक्तियाँ (Emergency Powers)-

A. राष्ट्रीय आपात (National Emergency)- 

❖ अनुच्छेद 352 में कहा गया है कि जब कभी विदेशी आक्रमण हो जाए या सशस्त्र विद्रोह हो जाए तो मंत्रीमण्डल के सिफारिश पर राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपात की घोषणा करते हैं।

❖ घोषणा के 30 दिन के अंदर संसद के दोनों सदनों द्वारा राष्ट्रीय आपात का अनुमोदन मिलना जरूरी है। यदि राज्यसभा अनुमोदन कर दिया हो और लोकसभा पहले से ही भंग हो तो लोकसभा का चुनाव होने के बाद 30 दिन के भीतर अनुमोदन करेगा।

❖ दोनों सदनों में अनुमोदन मिलने के बाद आपात छः माह तक लागू अनुमोदन अनंत काल तक बढ़ाया जा सकता है।

❖ यदि राष्ट्रपति बिना मंत्रीमण्डल सिफारिस किए आपात लागू कर देता है तो इसकी चुनौती सुप्रीम कोर्ट में दी जा सकती है। 

राष्ट्रीय आपात का प्रभाव (Effect of National Emergency)-

(A) इसमें मूल अधिकार स्थगित कर दिया जाता है और देश का संघीय ढाचा प्रभावित हो जाता है।

(B) अनुच्छेद 352 जब लागू रहता है तो अनुच्छेद 358 स्वतः लागू हो जाता है परिणाम स्वरूप अनुच्छेद 19 में दी गई विभिन्न प्रकार की स्वतंत्रता को स्थगित कर देता है।

(C) अनुच्छेद 359 आपातकाल के दौरान राष्ट्रपति को यह अधि कार देता है कि वह अनुच्छेद 20 और 21 को छोड़कर किसी भी मूल अधिकार को स्थगित कर सकते है। 

(D) राज्य सरकार शक्तिविहिन हो जाती है।

(E) संसद राज्य सूची के विषय में कानून बना सकता है किन्तु इसका प्रभाव केवल 1 साल तक प्रभावित रहता है।

(f) अनुच्छेद 352 में पहली बार मंत्रीमण्डल शब्द का प्रयोग हुआ।

 Note :- अब तक तीन बार राष्ट्रीय आपात लगा है-

1. 1962 चीन युद्ध 

2. 1971 बांग्लादेश संकट

3. 1975 आंतरिक अशांति

❖ इसमें लोकसभा का कार्यकाल 1 वर्ष के लिए बढ़ा दिया जाता है।

B. राजकीय आपात या राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) 
[State Emergency or President Rule (Article-35)]-

❖ यह तब लाया जाता है जब राज्य का संवैधानिक दाचा विफल हो जाए। 

❖ अनुच्छेद 355 में कहा गया है कि प्रत्येक राज्य संविधान के अनुरूप शासन करेगा |

❖  6-6 महीने तक अनुमोदन करके इसे अधिकतम तीन वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है।

❖ संसद के दोनों सदनों से अनुमोदन मिलने के बाद यह 6 महीने तक लागू रहेगा |

 Note:- अपवाद के रूप में पंजाब में राजकीय आपात 3 वर्षों से अधिक लगा है।

 ❖पहली बार राजकीय आपात पंजाब (PEPSU) 1951 में लागू हुआ।

 राजकीय आपात का प्रभाव (Effect of State emergency)-

(A) राज्य की सारी कार्यपालिका शक्तियाँ राज्यपाल के हाथ में चली जाती है।

(B) मुख्यमंत्री शक्तिविहीन हो जाता है।

(C) राज्य की विधायी शक्तियाँ संसद के पास चली जाती है।

(D) राज्य का बजट संसद में प्रस्तुत लगता है।

Note :- राजकीय अपात के दौरान H.C. में कार्य प्रभावित नहीं होते हैं।

 C. वित्तीय आपात अनुच्छेद-360 
(Financial Emergency Article - 360)-

❖ इसे USA के संविधान से लाया गया है।

❖ यह तब लागू होता है, जब देश कि वित्तीय स्थिति बहुत खराब हो। 

❖ इसे मंत्रिमण्डल के सलाह पर राष्ट्रपति लाते हैं।

❖ संसद के दोनों सदनों द्वारा 60 दिन के अंदर अनुमोदन मिलना आवश्यक है यदि राज्यसभा अनुमोदन कर दिया हो और लोकसभा पहले से ही भंग हो तो नई लोकसभा 30 दिनों के भीतर अनुमोदित करेगी।

❖ एक बार अनुमोदन मिलने के बाद तब तक लागू रहेगा जबतक कि संसद इसे स्वयं न हटा दें।

❖ अब तक वित्तीय आपात लागू नहीं हुआ है।


वित्तीय आपात के प्रभाव (Impact of Financial Emergency)-

(A) राष्ट्रपति के वेतन को छोड़कर शेष सभी सरकारी कर्मचारीयों का वेतन काट लिये जाते हैं।

 (B) सरकारी खर्च में कटौती कर ली जाती है।

(C) Tax बड़ा दिया जाता है।

आपात 

संसद का अनुमोदन   

नई लोकसभा 

राष्ट्रीय आपात अनु--352 

30 दिनों के अंदर   

30 दिन 

राजकीय आपात अनु--356   

60 दिन 

30 दिन 

वित्तीय आपात अनु--360 

60 दिन 

30 दिन 

8. विवेकाधिकार शक्ति (Discretionary Powers)-

* इस शक्ति का प्रयोग राष्ट्रपति अपनी इच्छानुसार करते हैं। इसका प्रयोग लोकसभा के त्रिशंकु होने पर अर्थात् किसी भी दल को बहुमत न मिलने पर करते हैं।

* जब लोकसभा में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलता है तो राष्ट्रपति किसी भी दल के नेता को प्रधानमंत्री घोषित कर देते हैं और 30 दिनों के भीतर उन्हें बहुमत सिद्ध करने को कहा जाता है। यदि वे 30 दिनों के भीतर बहुमत सिद्ध कर दिये तो वह प्रधानमंत्री के पद पर बने रहेगे अन्यथा दुबारा चुनाव कराया जायेगा।

राष्ट्रपति की वीटो शक्ति (Veto Power of the President) -

* विधेयक को रोकने की शक्ति को वीटो शक्ति कहते हैं। यह तीन प्रकार का होता है।

  1.  अत्यंत कारी वीटो (Absolute Veto)- राष्ट्रपति जब विधेयक को पूरी तरह रद्द कर देते हैं, तो उसे अत्यंतकारी वीटो कहते हैं। अब इसे समाप्त कर दिया गया है।
  2.  निलंबकारी वीटो (Suspensive Veto)- राष्ट्रपति जब पुनर्विचार के लिए जब विधेयक को लौटाते हैं, तो उसे निलंबकारी विटो कहते हैं।
  3.  जेबी वीटो (Pocket Veto) - जब राष्ट्रपति किसी विधेयक पर न अपना हस्ताक्षर करे न ही उसे पुनर्विचार के लिए लौटाए, बल्कि उसे अपने ही पास रख ले, तो उसे जेबी वीटो (Pocket Veto) कहते हैं |

* डाक संशोधन विधेयक 1986 पर राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने जेब बीटो का उपयोग किया है।

विशेषाधिकार शक्ति (Privileged Power)

* राष्ट्रपति पर दीवानी मुकदमा चलाया जा सकता है किन्तु फौजदारी मुकदमा कार्यकाल के दौरान नहीं चलाया जा सकता है।

* फौजदारी मुकदमा कार्यकाल समाप्ति के बाद चलाया जाएगा। अर्थात् यह अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।

* राष्ट्रपति किसी भी केंद्रीय विश्वविद्यालय के महाकुलाधिपति 


उपराष्ट्रपति (अनुच्छेद 63-70) | (Vice President) (Article 63-70)]

* उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सर्वोच्च पद होता है।

 अनुच्छेद 63 - उपराष्ट्रपति की चर्चा है जो U.S.A के संविधान से लिया गया है।

अनुच्छेद 64 - उपराष्ट्रपति ही राज्यसभा का सभापति होता है, किन्तु वह राज्यसभा का सदस्य नहीं होता है। 

* राज्य की विधानमंडल उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में भाग नहीं लेती है।

* उपराष्ट्रपति को वेतन सभापति होने के नाते दिया जाता है।

 Note :- राज्यसभा एक ऐसा सदन है जिसका सभापतित्व उसके सदस्य नहीं करते हैं। 

अनुच्छेद 65 - राष्ट्रपति के अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति ही  कार्यवाहक राष्ट्रपति का कार्य करता है। इस दौरान वह राष्ट्रपति के सभी शक्तियों का प्रयोग करेगा किन्तु इस दौरान वह सभापति का कार्य नहीं करेगा।

अनुच्छेद 66 - इसमें उपराष्ट्रपति के निर्वाचन की चर्चा है। जो एकल संक्रमणीय अनुपातिक पद्धति द्वारा होता है।

* अनु० 66 में ही उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य भाग लेते हैं, चाहे वह मनोनित हो या निर्वाचित।

उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में खड़े होने के लिए निम्न योग्यताएँ है (Eligibility of the Vice-President)-

1 . वह भारत का नागरिक हो।

2. पागल या दिवालिया न हो।

3. 35 वर्ष आयु का हो।

4. लाभ के पद (सरकारी नौकरी) पर न हो।

 5. 20 प्रस्तावक तथा 20 अनुमोदक हो।

6. 15 हजार रुपया जमानत कि राशि जमा करनी होगी।

 7. राज्यसभा का सदस्य बनने कि योग्यता होनी चाहिए।


अनुच्छेद 67- उपराष्ट्रपति का कार्यकाल सामान्यतः 5 वर्ष का होता है। किन्तु उसके उत्तराधिकारी का निर्वाचन नहीं हुआ है, तो वह अपने पद पर तब तक रहेगा जबतक कि उसका उत्तराधिकारी निर्वाचित नहीं हो जाता है। 5 वर्ष से पहले भी उपराष्ट्रपति को अविश्वास प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकता है।

उपराष्ट्रपति को पदमुक्त करना

* यह राज्य सभा का सभापति होता है। इसी कारण उपराष्ट्रपति पर महाभियोग राज्यसभा से प्रारंभ हो सकता है। महाभियोग  (25%) मत की आवश्यकता होती है।

* महाभियोग परित करने के लिए 2/3 (दो तिहाई मत से पारित करना होता है। जब राज्यसभा इसे पारित कर देती है, तो लोकसभा में भेजने से 14 दिन पूर्व इसकी सूचना उपराष्ट्रपति को दी जाती है ताकि वह अपनी बात लोकसभा में रख सके। यदि लोकसभा में भी 2/3 (66%) बहुमत से महाभियोग पारित कर कर दिया तो उपराष्ट्रपति को पद से हटा दिया जाता है। 

* अब तक किसी राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति पर महाभियोग नहीं

अनुच्छेद 68 - उपराष्ट्रपति के चुनाव को यथाशीघ्र करा लेने को चर्चा है अर्थात् इसमें निश्चित समय सीमा नहीं दिया गया है। 

अनुच्छेद 69 - उपराष्ट्रपति को शपथ दिलाने का कार्य राष्ट्रपति करते हैं। 

अनुच्छेद 70 - वैसा आकस्मिक स्थिति जिसकी चर्चा संविधान में नहीं है और उसी कारण राष्ट्रपति का पद खाली हो गया हो गया है, तो उस स्थिति में भी उपराष्ट्रपति ही कार्यवाहक राष्ट्रपति का कार्य करेंगे। Ex. :- खराब स्वास्थ्य, अपहरण इत्यादि।

अनुच्छेद 71 - राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के चुनाव विवादों (Election Disputes) को सुप्रीम कोर्ट में सुलझाया जा सकता है।

अनुच्छेद 72 - इसमें राष्ट्रपति के विभिन्न प्रकार की क्षमादान शक्तियाँ है।

अनुच्छेद 73 - संघ की कार्यपालिका (कार्यप्रणाली) को आसान बनाने के लिए राष्ट्रपति कानून बनाते है।

अनुच्छेद 74 - राष्ट्रपति को सलाह देने के लिए एक मंत्रीपरिषद होगा। जिसका अध्यक्ष प्रधानमंत्री होगा अर्थात् मंत्रीपरिषद् प्रधानमंत्री के अधीन होता है। 

अनुच्छेद 75 - मंत्रियों के बारे में अन्य उपबंध (व्यवस्था) अर्थात् मंत्रियों की नियुक्ति प्रधानमंत्री के सलाह पर राष्ट्रपति करते हैं।

*  1861 ई. से भारत में लार्ड कैनि ने विभागीय प्रणाली (पोर्ट फोलियो) लागू कर दिया। इसके तहत भारत के विभिन्न कायाँ को अलग-अलग विभाग में बाँट दिया और उसे मंत्रियों को सौंप दिया गया।


मंत्रीपरिषद् (Council of Minister)

इसमें 4 प्रकार के मंत्री रहते हैं-

1. कैबिनेट मंत्री (Cabinet Minister) - यह किसी भी विभाग का सबसे बड़ा मंत्री होता है। यह अपने विभाग के सभी फैसले लेने के लिए स्वतंत्र हैं।

2. राज्यमंत्री - प्रत्येक विभाग में एक राज्य मंत्री होता है। यह कैबिनेट मंत्री की सहायता करता है। यह हर एक राज्य में नहीं होता है। जितने विभाग होंगे उतने ही राज्य मंत्री होंगे।

3. राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) - जिस विभाग का कैबिनेट मंत्री किसी कारण से अनुपस्थित रहता है तो उस विभाग के राज्यमंत्री का स्वतंत्र प्रभार बनाया जाता है। यह कैबिनेट मंत्री के बराबर शक्ति रखता है। जब कैचिनेट मंत्री वापस आता है तो यह पुनः राज्य मंत्री का रूप लेता है।

4. उपमंत्री - यह सबसे छोटे स्तर का मंत्री है। यह राज्यमंत्री कि सहायता करता है।

Remark :- जब किसी विभाग को दुसरे विभाग के कैबिनेट मंत्री को सौंप दिया जाता है तो उसे अतिरिक्त प्रभार कहते हैं।

मंत्रीमण्डल (Group of Minister) - इसमें केवल उच्च श्रेणी के मंत्री ही भाग लेते हैं। इसमें कैबिनेट मंत्री तथा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार आते हैं।

* मंत्रीमण्डल शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग अनुच्छेद 352 में है। 

Note:- Prime Minister मंत्रीमण्डल तथा मंत्रीपरिषद् दोनों का अध्यक्ष होता है।

सुपर कैबिनेट- अर्थशास्त्री "K संथानन" ने योजना आयोग को सुपर कैबिनेट कहा है।

किचेन कैबिनेट - प्रधानमंत्री के सगे संबंधियों को किचेन कैबिनेट कहा जाता है।

  •  मंत्री परिषद् में विभाग वितरण P.M के इच्छानुसार होती है।
  • मंत्री परिषद् लोकसभा के प्रति उत्तरदायो होता है जिस कारण मंत्री किसी भी सदन का हो सकता है। वह लोक सभा में बैठ सकता है। किन्तु मतदान के समय वह अपने सदन में चला जाता है।
  • मंत्री व्यक्तिगत रूप से राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी होता है।
  • मंत्री परिषद का अध्यक्ष PM होता है। अतः PM के मृत्यु त्याग पत्र से मंत्री परिषद भंग होता है और जब नया PM पुनः मंत्रो परिषद् का गठन करता है।
  • इस स्थिति में लोकसभा भंग नहीं होती है। अर्थात् दुवारा चुनाव नहीं होगा।
  • दुबारा चुनाव तभी होगा जब बहुमत (273) शीट कम पर जाऐगी।
  • बहुमत सिद्ध करने के लिए गठबंधन भी किया जाता है।

संयुक्त प्रगतिशिल गठबंधन संप्रग (United Progressive Allion)-

  • कांग्रेस के नेतृत्व में बनाया गया गठबंधन U.P.A. कहलाता है।

सहायक दल- 

  • Congress B.SP. (U.P.)
  • S.P. (U.P.)
  •  R.J.D. (BIHAR)Cold

UPA 1 2004-2009

UPA 2 2009-2014


 राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) [National Democrative Allian (NDA)]- 

  • BJP के नेतृत्व में बनाया गया गठबंधन राजग (NDA) कहलाता है।

सहायक दल-

  • शिवसेना (महाराष्ट्र)
  • अकाली दल (पंजाब)
  • JDU (बिहार)
  • लोजपा (बिहार)


NDA 1-2014-2019

NDA 2-2019-2024

तीसरा मोर्चा (Third Party)-

  • NDA या U.P.A. के आलावा बनाया गया गठबंधन तीसरा मोर्चा है।

प्रधानमंत्री की शक्तियाँ (Power of Prime Minister)- 

  • यह (PM) योजना आयोग, राष्ट्रीय विकास परिषद्, राष्ट्रीय एकता परिषद्, मंत्रीमंडल, मंत्रीपरिषद के अध्यक्ष होते हैं।
  • PM, CAG, महान्यायवादी, मंत्री आदि के नियुक्ति सम्बंधी सिफारिस राष्ट्रपति को करते हैं।
  • मोर्ले नामक विद्वान ने PM के समकक्षों में सबसे प्रथम कहा है।
  • म्यूर नामक विद्वान ने राज्य रूपी जहाज का "स्टेरिंग व्हील" मंत्री मण्डल को कहा है।

Note :- बिना संसद के सदस्य बने ही कोई व्यक्ति छः माह तक PM या मंत्री रह सकता है, किन्तु छः माह के भीतर उसे संसद की सदस्यता लेनी होगी।

उप प्रधानमंत्री (Vice Prime Minister)

* इसके बारे में संविधान में कोई स्पष्ट चर्चा नहीं है। यह राजनैतिक उद्देश्य के लिए बनाया गया पद है।

* जब प्रधान मंत्री भारत से बहार होते है , तो उप प्रधानमंत्री देश पर नियंत्रण रखते हैं |

* जब उप प्रधानमंत्री नहीं रहता है , तो गृहमंत्री देश को मियंत्रण कर्ता है |




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